Thursday 16 August 2018

Dementia Do’s and Don’ts (Hindi)

ढ़लती उम्र का Dementia अक्सर मुश्किल समस्यायें प्रस्तुत करता है। ऐसे लोग - गुस्सा , confusion, डर, और उदासी महसूस कर रहे हैं जिसके वजह से आक्रामक और कभी-कभी हिंसक भी हो सकते हैं।

Communication (बातचीत) कि कठिनाइयां Alzheimers या किसी और प्रकार के Dementia वाले व्यक्ति की देखभाल करने कि सबसे बड़ी परेशान है - रोगी और family, किसी के लिए अच्छा नहीं है। हालांकि यह समझना मुश्किल हो सकता है कि Dementia वाले लोग ऐसा क्यों करते हैं, ज़्यादातर ये उनकी बीमारी और दिमाग में होने वाले परिवर्तनों के कारण होता है। वो कमज़ोर और बेबस महसूस करते है, और किसी तरह से अपनी बेबसी और कमज़ोरी से छुटकारा पाना चाहते हैं |



Dementia होने पर उत्पन्न होने वाली कुछ सामान्य स्थितियों के साथ खुद को परिचित करें, ताकि अगर आपका Family member कुछ चौंकाने वाला कहता है, तो आपको पता चलेगा कि शांतिपूर्वक और प्रभावी ढंग से कैसे जवाब दें:

# 1: आक्रामक हरकत या भाषा

Example: "मैं नहाना नहीं चाहता!", "मैं घर जाना चाहता हूं!" या "मैं ये नहीं खाना चाहता!" आक्रामक व्यवहार में बढ़ सकता है।

Alzheimers association का कहना है कि भाषा या शारीरिक आक्रामकता के बारे में याद रखने की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका Family member इसे जान-बूझ कर नहीं कर रहा है। आम तौर पर किसी चीज से शारीरिक परेशानी, आसपास की जगह कि वजह से - जैसे अनजानी जगह में होने या मायूस होने की वजह से होता है - दूसरों पर बोझ होने का गुस्सा, अपना ध्यान न रख पाने कि मायूसी |

हर बात खराब communication (बात-चीत) से शुरू होता है। मनोवैज्ञानिक कहते है कि कई बार ऐसा सिर्फ डर कि वजह से होता है - फिसल जाने का डर, चोट लगने का डर । "असहाय महसूस करना या डर लगने के जवाब में Dementia वाले लोग हाथ पैर चलाते हैं।

एक व्यक्ति जिन कि माँ को dementia है - "जैसे मेरी माँ की बीमारी बढ़ी, वैसे ही मूड बहुत तेज़ी से बदलता रहता है । वह एक पल पूरी तरह से ठीक हो सकती है, और अगली पल वह चिल्लाना और शारीरिक होना शुरू कर देती । अक्सर, यह समझ नहीं आता कि वो ऐसा क्यों करती है । उसके देखभाल करने वालों के लिए, अक्सर कपड़े पहनने या नहलाने वाले पर वो ग़ुस्सा उतार देती | "

DO: Dementia के कारण आक्रामकता (हाथा पाई) का जवाब है - कारण की पहचान करने की कोशिश करना

इस व्यवहार कि क्या वजह है ? एक बार जब आप यह पक्का कर लेंगे कि वे खुद को (या किसी और को) खतरे में नहीं डाल रहे हैं, तो आप एक शांत, Confident तरीके से बोलते हुए, किसी और चीज़ पर ध्यान करवाने कि कोशिश कर सकते हैं। दवाइयों से उनकी anxiety/ डर कम हो सकता है |

वास्तव में आपके Family member को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। मेरी माँ के मामले में, अगर वह परेशान होती, तो कई बार उससे बात करने की कोशिश कर के और उसे शांत करने की कोशिश उसे और ज़्यादा गुस्सा दिलाती । इसी तरह, उसे छूने या उसके हाथ को पकड़ने या धीरे-धीरे उसकी बांह या पैर को रगड़ने के लिए-उसके परिणामस्वरूप वो मरपीट पर उतर आती । उस मामले में सबसे अच्छा तरीका ये है की दूर चले जाओ - उसे अपनी जगह और समय की जरूरत थी।

Don’t: सबसे बुरी चीज जो आप कर सकते हैं वह बहस में लगना - उस से बात बढ़ सकती है | जबरदस्ती व्यक्ति को तब तक रोकने की कोशिश न करें जब तक कि कोई दूसरा तरीका न हो । आक्रामक व्यवहार को रोकने का सबसे बड़ा तरीका है कभी भी 'ना' मत कहना - उन की हाँ में हाँ मिलाते रहना ।"

# 2: जगह (शहर, या घर) या समय के बारे में confusion

Example: "मैं घर जाना चाहता हूं? यह मेरा घर नहीं है? हम कब जा रहे हैं? हम यहां क्यों आए हैं? कोई मुझे लेने रहा है"

घर जाने की इच्छा एक alzheimers या Dementia रोगी के लिए सबसे आम बात है। याद रखें कि alzheimers से सोचने की शक्ति काम हो जाती है और यही confusion और याददाश्त की कमी का कारण है।

अक्सर लोग ऐसे जगह (शहर, या घर) पर वापस जाने की कोशिश कर रहे हैं जहां उनके जीवन में ज़्यादा control था |

DO: ऐसे सवालों का उत्तर देने के कुछ तरीके हैं -

Alzheimers association का सुझाव है, फ़ोटो की मदद से time और जगह बताएं । अगर Family member को किसी दूसरी जगह (शहर, या घर) पर ले जाना ज़रूरी हैं - इस case में जितना संभव हो उतना कम कहना अच्छा है - ये बताना अच्छा है की उनके सभी सामान पैक किए गए हैं और ध्यान किसी और तरफ लगाने की कोशिश करो - चलने के लिए जाएं, नाश्ता करें, आदि। अगर वे clear सवाल पूछते हैं जैसे 'हम वापस कब जा रहे हैं?' तो आप जवाब दे सकते हैं, 'हम नहीं जा सकते क्योंकि ...' यातायात भयानक है / खराब मौसम / आज रात बहुत देर हो चुकी है । आपको यह पता लगाना होगा कि व्यक्ति को सबसे सुरक्षित महसूस करने के लिए क्या किया जा सकता है," भले ही वह एक झूठ हो।
Don’t: लंबी discussion/बहस मत करो |

आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बहस नहीं कर सकते जो alzheimers या Dementia से पीड़ित है | यह नहीं किया जा सकता है। वास्तव में, कई बार ऐसा करने से हम गुस्सा या डर बढ़ा रहे हैं - जो हम पूछ रहे हैं उस में anxiety के trigger हो सकते हैं | बहस करने की कोशिश और समझाना “कि वह घर है; यह उसका नया घर था। चीजें धीरे-धीरे बदतर हो जाएंगी” - कभी काम नहीं करता |


# 3: विश्वास कि कमी -

Example: अनजान आरोप: "तूने मेरा (कोई भी सामान) चुरा लिया है!" या पैसे के मामले में किसी पे भरोसा न करना

Alzheimers/Dementia के कारण दिमाग़ में त्रुटियों कि वजह से एक विशेष व्यवहार है दूसरो को अपराधी मानना । ये confusion, या गलत फहमी पैदा कर सकते हैं। इनमें से कुछ समस्याएं साफ़ हैं, जैसे कि जब घरेलू सामान जमा करना, सामान बांधना, या कुछ चोरी करने के किसी और पर आरोप लगाना |

Do: Alzheimers association कहता है कि यदि आप इन बदलावों को देखते हैं तो उनसे इस बारे में प्यार से बात करें | हो सकता है उनकी बता में सच्चाई हो, मगर ना भी हो तो भी बात करने से राहत मिली सकती है ।
Don’t: जब कोई नया इलज़ाम हो, आप को नए सिरे से सोचना पड़ेगा - मगर उनके साथ बहस करने कि कोशिश कभी भी करें - उन का दिमाग बीमार है । बहस से डर बढ़ जाता है, आप गुस्सा करोगे तो वो अपनी बात पर अड़ जायेंगे ।

Loosely translated for personal use based on: https://www.aplaceformom.com/blog/2013-02-08-dealing-with-dementia-behavior/

No comments:

Post a Comment