चंदू की साइकिल बिल्कुल चंदू जैसी थी,
चलती थी तो चंदू जैसे चुन चुन करती रहती थी,
handle उसका चंदू के हाथों जैसा ही हल्का था,
pedal उसके चंदू के पैरों जैसे ही पतले थे,
सीट उसकी चंदू के पिछवाड़े जैसी चौड़ी थी,
carrier उसका चंदू के career जैसा ही छोटा था ।
पर चंदू की दोस्त वही थी, वही उसके साथ रहती थी,
चंदू के भारी वज़न को बहुत ही आसानी से सहती थी ।
लेकिन...
ऐसा दिन आया जब साइकिल उसकी टूट गई,
आता देख सांड आगे से चंदू से वो छूट गई ।
ठीक नहीं कर पाया जब montu mechanic भी उसको,
चंदू के daddy ने उसे बेच दिया कबाड़ी को ।
चंदू सब कुछ भूल किताबों में डूब गया ऐसे,
जैसे किसी पुरानी ख्वाहिश को सच्चा करना था उसे ।
फिर जब चंदू बड़ा हुआ, तो अपनी first कमाई से वो नई साइकिल लेकर आया,
अपनी नई मिली चतुराई से ।
लेकिन ...
नई साइकिल भी बिल्कुल चंदू जैसी ही थी,
कितिनी भी कोशिश कर लो चुन चुन करती रहती थी,
सीट उसकी चंदू के पिछवाड़े जैसी चौड़ी थी,
carrier उसका चंदू के career जैसा ही छोटा था ।
सौजन्य 'उड़ान' (हिंदी फिल्म) २०१०
लेखक: विक्रमादित्य मोटवाने, अनुराग कष्यप, कुमार देवांशु, सत्यांशु सिंह
Thank you. It's Beautiful
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